दोस्तों आज की कहानी का नाम है I hate Bareli
करीब रात के बारे बजे दिल्ली बरेली पस्सेंजर खुल चुकी थी और सुपरमैन की तरह ट्रेन पकड़ने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है पर अक्सर हम उन ही चीजों का सामना करते हैं जिनमें हमारी कोई दिलचस्पी नहीं होती और आज में लेट हो गया था ट्रेन तो छुटके-छुटके बच गईं थी पर अब इस भारी बैग को खीचते हुए जान निकल रही थी आखिर बैग भरी होना भी क्यों न था एक तो Invertis university का ऑडिट और दूसरा अपनीं सबसे प्यारी दोस्त का निकाह (अभी तक ये तय नहीं हुआ की वो निकाह किसके साथ होगा ) कुछ देर की मशक्कत के बाद में ख़ाली सीट मिली और मै बैठ गया और ऑफिस के पेंडिंग काम निपटाने लगा, देखो सुबह तक सारी रिटर्न्स भेज देना और ये कह कर मैने फ़ोन काट दिया, सामने देखा को एक अंकल बैठें मुस्करा रहे थे बेटा बरेली जा रहे हो, बरेली में ही रहते हो, किस जगह, त्रिवती नाथ मंदिर के पास या आला हज़रत दरगाह के पास ! मै भी बरेली ही रहता हू, वो अंकल पाँव मोड़ते हुए ग़पे हाकने की मुद्रा में बैठ गए, जी नहीं मै पहली बार बरेली जा रहा हु, मेरे सपाट जवाब सुनकर हिचकिचा गए थे शायद! पर इस बार मोर्चा बगल में बैठीं बूढी औरत ने संभाल लिया था देखना बीटा तुम्हे बड़ा मजा आएगा हमारे बरेली की तो बात ही निराली है जिस बात का ड़र था वही हुआ वो दोनों लोग बरेली की पोटली खोल कर बैठ गए पर उनका क्या पता था बरेली के लिए मुझे कोई उत्सुकता नहीं है बल्कि मुझे तो नफरत है इस बरेली से, आप सोच रहे होंगें न कोंन है ये बतमीज लड़का, अब आप ही सोचिये न college के दिनों से आपको बरेली के बारे में बताया जाये फिर ऑफिस में तारीफों में सिर्फ और सिर्फ वही बरेली अब आप ही बताईये न इतना सुन कर या तो आपको प्यार होगा या इंकार, मुझे इंकार हुआ हुआ था जो धीरे धीरे नफरत का रंग ले चूका था, खैर मुझे क्या पता था ये नफरत वाली फीलिंग और और नफरत वाली होने जा रही थी अगली सुबह जब में उठा तो गाड़ी बरेली पहुच चुकी थी मै अपना बैग लेने के लिए नीच झुका तो जैसे बिजली को ज़ोरदार झटका लगा बैग वह नहीं था, मेरा बैग गायब था, काफ़ी देर बैग ढूढने की नाकाम कोशिश के बाद में तमतमाया हुआ रेलवे रिज़र्व फाॅर्स के पास पहुचा इसी बीच वही मेरी सबसे प्यारी दोस्त के भाईजान आ चुके थे और थोड़ा सा गर्मागर्मी के बाद हम लोग लोग कार में बैठ कर घर के लिए निकल पड़े इसी बीच मेरी नज़र सबसे प्यारी दोस्त पर पड़ी जो अब आईएस बन चुकी है, न जाने उसकी इस आईएस के पीछे कितना संघर्ष रहा है ,आज करीब तीन साल बाद मिला हू इस पागल से, जो एक दिन भी नहीं रह सकती थी मेरे बिना, दिल करा वही गले लगा लू लकिन भाईजान, ये मोह्बात college में बिताये तमाम् अच्छे बुरे पलों की थी, आज में उस लड़की के पास बैठा था जिसे कम मार्क्स आने पर गले लगा लगा कर संभाला, जिसके साथ college के लेक्चर बंक मारे!
खैर इसी सोच विचार के बिच हम तिलहर पहुच चुके थे, निकाहनामा 6 दिन बाद है, नास्ता ले कर मै ऑडिट के लिए निकल चूका था इसी बीच मेरे आर्टिकल भी यूनिवर्सिटी पहुच चुके थे, 2 दिन वही काम निपटाने के बाद में निकाह में शामिल होने बरेली पंहुचा और पहली बार इस्लाम की रीती रिवाज के हिसाब से निकाह देखने का अवसर मिला
आगें का हाल बताता हू निकाह में से आने के बाद ......
करीब रात के बारे बजे दिल्ली बरेली पस्सेंजर खुल चुकी थी और सुपरमैन की तरह ट्रेन पकड़ने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है पर अक्सर हम उन ही चीजों का सामना करते हैं जिनमें हमारी कोई दिलचस्पी नहीं होती और आज में लेट हो गया था ट्रेन तो छुटके-छुटके बच गईं थी पर अब इस भारी बैग को खीचते हुए जान निकल रही थी आखिर बैग भरी होना भी क्यों न था एक तो Invertis university का ऑडिट और दूसरा अपनीं सबसे प्यारी दोस्त का निकाह (अभी तक ये तय नहीं हुआ की वो निकाह किसके साथ होगा ) कुछ देर की मशक्कत के बाद में ख़ाली सीट मिली और मै बैठ गया और ऑफिस के पेंडिंग काम निपटाने लगा, देखो सुबह तक सारी रिटर्न्स भेज देना और ये कह कर मैने फ़ोन काट दिया, सामने देखा को एक अंकल बैठें मुस्करा रहे थे बेटा बरेली जा रहे हो, बरेली में ही रहते हो, किस जगह, त्रिवती नाथ मंदिर के पास या आला हज़रत दरगाह के पास ! मै भी बरेली ही रहता हू, वो अंकल पाँव मोड़ते हुए ग़पे हाकने की मुद्रा में बैठ गए, जी नहीं मै पहली बार बरेली जा रहा हु, मेरे सपाट जवाब सुनकर हिचकिचा गए थे शायद! पर इस बार मोर्चा बगल में बैठीं बूढी औरत ने संभाल लिया था देखना बीटा तुम्हे बड़ा मजा आएगा हमारे बरेली की तो बात ही निराली है जिस बात का ड़र था वही हुआ वो दोनों लोग बरेली की पोटली खोल कर बैठ गए पर उनका क्या पता था बरेली के लिए मुझे कोई उत्सुकता नहीं है बल्कि मुझे तो नफरत है इस बरेली से, आप सोच रहे होंगें न कोंन है ये बतमीज लड़का, अब आप ही सोचिये न college के दिनों से आपको बरेली के बारे में बताया जाये फिर ऑफिस में तारीफों में सिर्फ और सिर्फ वही बरेली अब आप ही बताईये न इतना सुन कर या तो आपको प्यार होगा या इंकार, मुझे इंकार हुआ हुआ था जो धीरे धीरे नफरत का रंग ले चूका था, खैर मुझे क्या पता था ये नफरत वाली फीलिंग और और नफरत वाली होने जा रही थी अगली सुबह जब में उठा तो गाड़ी बरेली पहुच चुकी थी मै अपना बैग लेने के लिए नीच झुका तो जैसे बिजली को ज़ोरदार झटका लगा बैग वह नहीं था, मेरा बैग गायब था, काफ़ी देर बैग ढूढने की नाकाम कोशिश के बाद में तमतमाया हुआ रेलवे रिज़र्व फाॅर्स के पास पहुचा इसी बीच वही मेरी सबसे प्यारी दोस्त के भाईजान आ चुके थे और थोड़ा सा गर्मागर्मी के बाद हम लोग लोग कार में बैठ कर घर के लिए निकल पड़े इसी बीच मेरी नज़र सबसे प्यारी दोस्त पर पड़ी जो अब आईएस बन चुकी है, न जाने उसकी इस आईएस के पीछे कितना संघर्ष रहा है ,आज करीब तीन साल बाद मिला हू इस पागल से, जो एक दिन भी नहीं रह सकती थी मेरे बिना, दिल करा वही गले लगा लू लकिन भाईजान, ये मोह्बात college में बिताये तमाम् अच्छे बुरे पलों की थी, आज में उस लड़की के पास बैठा था जिसे कम मार्क्स आने पर गले लगा लगा कर संभाला, जिसके साथ college के लेक्चर बंक मारे!
खैर इसी सोच विचार के बिच हम तिलहर पहुच चुके थे, निकाहनामा 6 दिन बाद है, नास्ता ले कर मै ऑडिट के लिए निकल चूका था इसी बीच मेरे आर्टिकल भी यूनिवर्सिटी पहुच चुके थे, 2 दिन वही काम निपटाने के बाद में निकाह में शामिल होने बरेली पंहुचा और पहली बार इस्लाम की रीती रिवाज के हिसाब से निकाह देखने का अवसर मिला
आगें का हाल बताता हू निकाह में से आने के बाद ......